Packaged drinking water: भारत में बढ़ती मांग और चुनौतियाँ

भारत में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण और स्वच्छ जल स्रोतों की कमी के कारण Packaged drinking water (बोतलबंद पानी) की मांग लगातार बढ़ रही है। उपभोक्ताओं की बढ़ती जागरूकता और जल सुरक्षा के मुद्दों को लेकर चिंता के कारण पैकज्ड पानी का बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है। आज, यह उद्योग भारतीय उपभोक्ताओं के लिए एक आवश्यक वस्तु बन गया है, खासकर शहरी इलाकों में जहां साफ और सुरक्षित पानी की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है।

packaged drinking water

Packaged drinking water: एक उद्योग के रूप में उभरना

भारत में Packaged drinking water का कारोबार पिछले कुछ दशकों में बहुत बढ़ा है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ जैसे बिसलेरी, रेडीमेड, किनले, नील कोहली और अन्य स्थानीय ब्रांड्स ने देश के हर कोने में अपनी पैठ बना ली है। यह कंपनियाँ पानी को फिल्टर, मिनरल्स और उपचारित करके बोतलों में पैक करती हैं, ताकि उपभोक्ताओं को सुरक्षित, स्वच्छ और पीने योग्य पानी उपलब्ध कराया जा सके।

पैकज्ड पानी के बारे में कई विचार और विमर्श हो सकते हैं, लेकिन यह सच्चाई है कि भारत में जहां पेयजल की गुणवत्ता और उपलब्धता का मुद्दा गंभीर है, वहां पैकज्ड पानी एक भरोसेमंद विकल्प बनकर उभरा है।

Packaged drinking water के प्रकार

  1. RO (रिवर्स ऑस्मोसिस) पानी: रिवर्स ऑस्मोसिस तकनीक का उपयोग करके पानी को शुद्ध किया जाता है, जिसमें सभी प्रकार के बैक्टीरिया, वायरस और अन्य अशुद्धियाँ हटाई जाती हैं।
  2. Mineral water: इस प्रकार के पानी में प्राकृतिक खनिज होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होते हैं। इसे स्वच्छ जल स्रोतों से एकत्रित किया जाता है और फिर बोतल में पैक किया जाता है।
  3. आर्टिजनल वाटर: यह पानी प्राकृतिक झरनों से एकत्रित किया जाता है और इसे बहुत कम शुद्ध किया जाता है, ताकि इसके खनिज तत्वों को बरकरार रखा जा सके।

भारत में Packaged drinking water की बढ़ती मांग

भारत में पानी की गुणवत्ता और प्रदूषण के मुद्दों के कारण पैकज्ड पानी की मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है। शहरी इलाकों में जहां पाइपलाइन का पानी अक्सर पीने योग्य नहीं होता, वहां पैकज्ड पानी एक भरोसेमंद विकल्प बन गया है। इसके अलावा, पर्यटकों के बढ़ते आगमन, दूरदराज इलाकों में पानी की किल्लत और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण भी पैकज्ड पानी Packaged drinking water की खपत बढ़ी है।

इसके अलावा, भारतीय उपभोक्ताओं के बीच स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ी है, जिससे पैकज्ड पानी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। आजकल, अधिक से अधिक लोग घरों में पानी फिल्टर करने के बजाय पैकज्ड पानी का उपयोग कर रहे हैं।

चुनौतियाँ और विवाद

हालांकि Packaged drinking water की बढ़ती मांग ने उद्योग को वृद्धि दी है, लेकिन इसके साथ कई चुनौतियाँ और विवाद भी उत्पन्न हुए हैं:

  1. प्लास्टिक प्रदूषण: पैकज्ड पानी की बोतलें मुख्य रूप से प्लास्टिक की होती हैं, जो पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या है। प्लास्टिक कचरे का सही तरीके से निपटान न होने के कारण यह प्रदूषण को बढ़ाता है और जीव-जंतुओं के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
  2. जल संकट: पैकज्ड पानी का उत्पादन जल संकट के मामले में और अधिक दबाव डाल सकता है। क्योंकि पानी के उत्पादन में भी एक बड़ी मात्रा में जल का उपयोग होता है, जो भारत जैसे जल संकट वाले देश में एक गंभीर मुद्दा बन सकता है।
  3. सुरक्षा और गुणवत्ता: पैकज्ड पानी की गुणवत्ता और सुरक्षा पर सवाल उठते रहे हैं। कई बार गलत तरीके से पैकिंग, खराब गुणवत्ता वाली बोतल या अप्राकृतिक जल स्रोतों से पानी की आपूर्ति का मामला सामने आता है।
  4. प्राइसिंग और प्रतिस्पर्धा: पैकज्ड पानी की बढ़ती मांग ने उद्योग में अधिक प्रतिस्पर्धा को जन्म दिया है। छोटे और बड़े ब्रांड्स के बीच की प्रतिस्पर्धा कभी-कभी उत्पाद की गुणवत्ता पर भी असर डाल सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को सही और सुरक्षित विकल्प चुनने में मुश्किल हो सकती है।

नियमन और सरकारी कदम

भारत सरकार और संबंधित प्राधिकरणों ने Packaged drinking water उद्योग के लिए कुछ नियम और मानक बनाए हैं। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) पैकज्ड पानी के लिए गुणवत्ता मानक स्थापित करता है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद उपभोक्ताओं के लिए सुरक्षित और स्वच्छ हो। इसके अलावा, जल शुद्धता की निगरानी करने के लिए राज्यों और केंद्र सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं।

https://consumeraffairs.nic.in/sites/default/files/file-uploads/ctocpas/Drinking%20water.pdf

इसके बावजूद, जलवायु परिवर्तन, जल की कमी और प्लास्टिक प्रदूषण जैसे मुद्दों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, ताकि भविष्य में इस उद्योग का विकास एक स्थिर और पर्यावरण के अनुकूल तरीके से हो सके।

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